देहरादून में रॉटविलर कुत्तों का हमला: बुजुर्ग महिला गंभीर, सिस्टम पर उठे सवाल

देहरादून में रॉटविलर कुत्तों का हमला: बुजुर्ग महिला गंभीर, सिस्टम पर उठे सवाल

देहरादून में पालतू कुत्तों द्वारा आम नागरिकों पर हमले अब चिंता का गंभीर विषय बनते जा रहे हैं। ताजा मामला शहर के डोभालवाला क्षेत्र से सामने आया है, जहां रॉटविलर नस्ल के दो कुत्तों ने एक बुजुर्ग महिला पर इतना भयानक हमला कर दिया कि उनकी जान बचाना मुश्किल हो गया। महिला इस वक्त अस्पताल में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही है।

❖ घटना का विवरण

घटना रविवार सुबह की है जब कौशल्या देवी नाम की बुजुर्ग महिला मंदिर जा रही थीं। पड़ोसी के घर का गेट खुला था, और वहीं से निकले दो रॉटविलर कुत्तों ने महिला पर हमला कर दिया। महिला के बेटे उमंग निर्वाल ने बताया कि कुत्ते करीब 10-15 मिनट तक लगातार उनकी मां को नोचते रहे। आसपास के लोगों ने कुर्सियों और डंडों से किसी तरह कुत्तों को भगाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

“कुत्तों ने मेरी माता जी के दोनों कान पूरी तरह से नोच दिए हैं। हाथ की दो हड्डियां टूट चुकी हैं, शरीर के कई हिस्सों का मांस भी खत्म हो चुका है। ऑपरेशन के बाद हाथ में प्लेट लगी है।”
– उमंग निर्वाल, पीड़िता का बेटा

❖ डॉक्टरों की रिपोर्ट

महिला का इलाज कर रहे डॉ. मोहन लाल ने बताया कि महिला के हाथ की सर्जरी की गई है। हाथ और कानों में गहरे घाव हैं। डॉक्टरों ने कहा कि महिला को इन्फेक्शन से बचाने के लिए सघन निगरानी में रखा गया हैहड्डी, प्लास्टिक सर्जरी, ईएनटी और ऑर्थोपेडिक विभाग की टीमें मिलकर इलाज कर रही हैं।

❖ प्रशासन और कानून पर सवाल

इस घटना ने शहर में खतरनाक नस्लों के कुत्तों को पालने पर प्रशासन की नाकामी को उजागर कर दिया है। भारत सरकार ने रॉटविलर, पिटबुल, डाबरमैन, अमेरिकन बुली जैसी खतरनाक नस्लों के कुत्तों की पालना, ब्रीडिंग और खरीद-फरोख्त पर रोक लगा रखी है। इसके बावजूद देहरादून जैसे शहरों में खुलेआम इन नस्लों के कुत्ते बिना किसी नियंत्रण के पाले जा रहे हैं

स्थानीय लोगों ने बताया कि ये पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी ये कुत्ते लोगों पर हमला कर चुके हैं, शिकायतें दी गईं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह लापरवाही न केवल पीड़ित परिवार के लिए त्रासदी है, बल्कि समाज के लिए एक बड़ा खतरा भी है।


❖ अब क्या ज़रूरी है?

  • नगर निगम और पुलिस को तुरंत एक्शन में आकर ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
  • खतरनाक नस्लों के पालतू कुत्तों के पंजीकरण, निगरानी और रखरखाव के नियमों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
  • शहरवासियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए, अवैध रूप से पाले जा रहे खतरनाक नस्लों के कुत्तों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

देहरादून जैसे शांत शहर में इस तरह की घटनाएं मानवता और व्यवस्था, दोनों के लिए चेतावनी हैं। अब सवाल यह नहीं कि अगला हमला कब होगा, बल्कि यह है कि क्या हम तैयार हैं उस हमले को रोकने के लिए?


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