उत्तरकाशी जिले में सिलाई बैंड के पास हुए भूस्खलन और बादल फटने की घटना के चौथे दिन भी राहत और बचाव कार्य जारी है। यमुनोत्री मार्ग पर शनिवार को आए इस भीषण प्राकृतिक हादसे में नौ मजदूर पानी और मलबे के तेज बहाव में बह गए थे, जिनमें से दो के शव बाद में बड़कोट क्षेत्र में यमुना नदी से बरामद हुए। शेष सात लापता लोगों की तलाश के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार अभियान चला रही हैं, जिसमें अब खोजी कुत्तों की भी मदद ली जा रही है।
बादल फटने के चलते यमुनोत्री हाईवे का करीब 20 मीटर हिस्सा पूरी तरह बह गया है। घटनास्थल पर चार दिन बीत जाने के बावजूद मार्ग बहाल नहीं हो पाया है। चौथे दिन भी सिलाई बैंड और ओजरी के पास से वाहनों की आवाजाही शुरू नहीं हो सकी है, जबकि लोग पैदल जोखिम उठाकर यात्रा कर रहे हैं। डामटा के पास भी यमुनोत्री हाईवे पर भारी मलबा आने से रास्ता बंद है।
एनएच के अधिशासी अभियंता (ईई) मनोज रावत के अनुसार डामटा क्षेत्र में मार्ग को खोलने के निर्देश दिए गए हैं। उधर, लगातार जारी रेस्क्यू अभियान के बावजूद लापता लोगों का कोई सुराग न लगना चिंता का विषय बना हुआ है। स्थानीय प्रशासन और राहत एजेंसियां युद्धस्तर पर राहत-बचाव में जुटी हैं, लेकिन भारी मलबा और खराब मौसम कार्य में बाधा बन रहे हैं।
चूंकि यह मार्ग चारधाम यात्रा और यमुनोत्री धाम की दिशा में जाता है, इसलिए इस घटनाक्रम का तीर्थ यात्रियों की आवाजाही पर भी गंभीर असर पड़ा है।
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