उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री हाईवे पर शनिवार देर रात बादल फटने से भारी तबाही मच गई। पालीगाड़-ओजरी-डाबरकोट के बीच सिलाई बैंड के पास हुए इस हादसे में होटल निर्माण कार्य में लगे मजदूरों पर आपदा का कहर टूटा, जिसमें अब तक दो मजदूरों के शव बरामद हो चुके हैं, जबकि सात अन्य अब भी लापता हैं।
बड़कोट थानाध्यक्ष दीपक कठेत के अनुसार, घटना देर रात 12 बजे के आसपास की है। टेंटों में ठहरे 19 मजदूरों में से 10 को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया, जबकि नौ मजदूर सैलाब में बह गए, जिनमें पांच नेपाली, तीन देहरादून निवासी और एक उत्तर प्रदेश का रहने वाला बताया जा रहा है। एसआई विक्रम सिंह ने जानकारी दी कि दो शव 18 किलोमीटर दूर तिलाड़ी शहीद स्मारक के पास यमुना नदी से बरामद हुए हैं, जबकि शेष सात मजदूरों की तलाश युद्ध स्तर पर जारी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना को “दुखद” बताते हुए अधिकारियों को तेज और समन्वित राहत एवं बचाव कार्य चलाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि SDRF, NDRF समेत तमाम टीमें मौके पर मौजूद हैं और स्थिति पर वह स्वयं नजर बनाए हुए हैं।
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि करीब 45 जवान राहत कार्य के लिए रवाना किए गए हैं, लेकिन भारी मलबा और कठिन भू-भौगोलिक स्थितियों के कारण मशीनें मौके तक नहीं पहुंच पा रही हैं, इसलिए मानव संसाधन के दम पर रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। अब तक की जानकारी के अनुसार, कई मजदूर या तो मलबे में दबे हो सकते हैं या बहाव में बह गए हैं।
बादल फटने के बाद यमुनोत्री हाईवे कई स्थानों पर पूरी तरह अवरुद्ध हो गया है। एनएच की टीमें मार्ग खोलने के प्रयास में जुटी हैं। ओजरी, स्याना चट्टी और कुपड़ा कुंशाला जैसे क्षेत्र अत्यधिक प्रभावित हुए हैं। यमुना नदी का जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में झील जैसा दृश्य बन गया है, जिससे लोगों में दहशत है।
इस आपदा के बीच मौसम विभाग ने 29 जून से 1 जुलाई तक दून, टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार, नैनीताल, चंपावत और ऊधमसिंह नगर समेत सात जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है। पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन और नदियों के उफान की आशंका के चलते लोगों से सतर्क रहने और अनावश्यक यात्रा न करने की अपील की गई है।
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