उत्तराखंड के चंपावत जिले में पहली बार एमडीएमए जैसी घातक और प्रतिबंधित ड्रग्स की करोड़ों की खेप पकड़ी गई है। यह कार्रवाई चंपावत और पिथौरागढ़ जिलों की पुलिस और एसओजी की संयुक्त टीम ने की। शारदा नहर क्षेत्र में की गई इस छापेमारी में पुलिस ने एक महिला ईशा को गिरफ्तार किया, जिसके पास से 5.688 किलोग्राम एमडीएमए बरामद हुआ। महिला के पति राहुल कुमार और सहयोगी कुनाल कोहली मौके से फरार हो गए, जिनकी तलाश अभी भी जारी है।
पूछताछ में ईशा ने खुलासा किया कि ड्रग्स उसे उसके पति और कुनाल कोहली ने पिथौरागढ़ से सौंपे थे, ताकि वह उन्हें नष्ट कर सके। इससे पहले, महाराष्ट्र के ठाणे में पकड़े गए एक आरोपी से पूछताछ में उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों से ड्रग्स की आपूर्ति की जानकारी मिली थी। इसके आधार पर यह बड़ी कार्रवाई की गई। पुलिस ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में बरामद ड्रग्स की कीमत 10.23 करोड़ रुपये आंकी गई है।
एमडीएमए, जिसे मौली, एक्स्टसी, एमडी, म्याऊ-म्याऊ जैसे नामों से जाना जाता है, एक अत्यधिक खतरनाक सिंथेटिक ड्रग है। यह युवाओं में लोकप्रिय है और विशेष रूप से क्लब और पार्टी कल्चर में प्रयोग की जाती है। इस ड्रग्स की मांग मुंबई जैसे महानगरों में काफी अधिक है। पुलिस ने बताया कि ड्रग्स तैयार करने के लिए पिथौरागढ़ के थल क्षेत्र में एक मुर्गी फार्म को प्रयोगशाला के रूप में इस्तेमाल किया गया था। वहां से तैयार की गई खेपों को गाड़ियों में छिपाकर बाहर भेजा जाता था।
मुंबई और उत्तराखंड पुलिस की संयुक्त जांच में खुलासा हुआ कि यह फार्म अंडरवर्ल्ड माफिया छोटा राजन के करीबी हनी दादा का है। यहां से बड़े पैमाने पर एमडीएमए बनाने का काम हो रहा था। पुलिस को जानकारी मिली कि इस नेटवर्क के तार नेपाल और नाइजीरिया तक फैले हुए हैं। पुलिस ने फैक्ट्री के मुख्य संचालक कुनाल राम कोहली को ऊधमसिंहनगर के नानकमत्ता से गिरफ्तार कर लिया है। उसकी निशानदेही पर बनारस और गाजियाबाद से लाया गया कच्चा माल बरामद किया गया, जिससे 12 किलोग्राम तक एमडीएमए तैयार किया जाना था।
बरामद सामग्री में 126 लीटर प्रतिबंधित केमिकल, 28 किलो पाउडर और 7.41 ग्राम तैयार एमडीएमए शामिल है। पुलिस का कहना है कि ड्रग्स की फैक्टरी में प्रयोग किए जा रहे कैमिकल्स की आपूर्ति बाहर से की जा रही थी और इस नेटवर्क में कई और लोग शामिल हो सकते हैं। एसटीएफ को आशंका है कि इस पूरे गिरोह का अंडरवर्ल्ड कनेक्शन भी है।
इस मामले में पुलिस महानिदेशक और आईजी एसटीएफ ने सक्रियता दिखाते हुए कार्रवाई को अंजाम देने वाली टीम को नकद पुरस्कार से सम्मानित किया है। साल 2024-25 में अब तक 11 करोड़ से अधिक की ड्रग्स उत्तराखंड पुलिस द्वारा जब्त की जा चुकी हैं। एसटीएफ की टीमें अब इस नेटवर्क की अंतरराष्ट्रीय जड़ें तलाशने में जुटी हुई हैं, और जांच के लिए थाणे पुलिस से भी संपर्क किया जा रहा है।
यह मामला उत्तराखंड में बढ़ती ड्रग्स तस्करी की एक खतरनाक तस्वीर पेश करता है और पुलिस के लिए यह न केवल एक कानूनी बल्कि सामाजिक चुनौती भी बन गया है।
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