राजस्थान के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल खाटू श्यामजी, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आस्था के साथ दर्शन के लिए पहुंचते हैं, अब श्रद्धालुओं के लिए असुरक्षा और अपमान का प्रतीक बनता जा रहा है। बीते कुछ दिनों में लगातार दो घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें श्रद्धालुओं के साथ मारपीट और बदसलूकी की गई। ये घटनाएं न केवल स्थानीय प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती हैं, बल्कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
पहली घटना खाटू श्याम मंदिर के पास हुई, जहां भारी बारिश के बीच मध्यप्रदेश से आए कुछ श्रद्धालु एक दुकान के बाहर बारिश से बचने के लिए खड़े हुए थे। लेकिन दुकान के मालिकों ने उन्हें वहां से जाने के लिए कहा। जब श्रद्धालुओं ने थोड़ी देर रुकने की विनती की, तो बात इतनी बिगड़ गई कि दुकानदारों ने लाठियों से उन पर हमला कर दिया। जवाब में श्रद्धालुओं ने भी प्रतिरोध किया और पूरा घटनाक्रम एक राहगीर ने कैमरे में कैद कर लिया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और देशभर से श्रद्धालुओं ने इस पर नाराजगी जताई।
दूसरी घटना रींगस रेलवे स्टेशन के पास हुई, जहां चित्तौड़गढ़ से आई महिला श्रद्धालु सीमा अपने बच्चों और सहेलियों के साथ एक निजी जीप से लौट रही थीं। एक तीन साल के बच्चे के किराए को लेकर ड्राइवर से बहस हो गई, जो इतनी बढ़ गई कि ड्राइवर ने महिला को एक के बाद एक सात थप्पड़ जड़ दिए। महिला का गाल सूज गया और वह रोने लगी। महिलाओं ने हिम्मत दिखाते हुए आत्मरक्षा में ड्राइवर की पिटाई की और पुलिस को सूचित किया, लेकिन तब तक आरोपी वाहन लेकर फरार हो गया।
इन घटनाओं ने श्रद्धालुओं के मन में भय और असंतोष पैदा कर दिया है। श्रद्धालुओं का कहना है कि वे भगवान के दर्शन करने आते हैं, न कि अपमान और हिंसा सहने। इन हमलों से न केवल श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हुई हैं, बल्कि खाटू श्याम जैसे पवित्र स्थल की छवि को भी ठेस पहुंची है।
प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। क्या श्रद्धालुओं की सुरक्षा सिर्फ मेलों और आयोजनों तक सीमित है? क्यों आए दिन श्रद्धालु हिंसा के शिकार हो रहे हैं? प्रशासन को चाहिए कि वह इन घटनाओं को गंभीरता से ले और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। श्रद्धालुओं की मांग है कि श्रद्धा के इस धाम को बदनाम करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि खाटू बाबा के दरबार में फिर से श्रद्धा, शांति और सुरक्षा लौट सके।
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