विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में निर्माणाधीन टाइगर सफारी से जुड़े करोड़ों के घोटाले में बड़ी कार्रवाई हुई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तत्कालीन डीएफओ कालागढ़ अखिलेश तिवारी के खिलाफ अभियोजन की अनुमति प्रदान कर दी है, जिससे अब सीबीआई इस बहुचर्चित घोटाले में उनके खिलाफ मुकदमा चला सकेगी।
सीबीआई की जांच रिपोर्ट में तिवारी पर टाइगर सफारी निर्माण के दौरान वित्तीय अनियमितताओं और अवैध कार्यों में संलिप्तता का आरोप है। मुख्यमंत्री की अनुमति के बाद अब उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की संगत धाराओं में मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया है।
पाखरो टाइगर सफारी में भी खुलासा
वहीं, टाइगर रिजर्व के कालागढ़ डिवीजन की पाखरो रेंज में टाइगर सफारी निर्माण से जुड़े एक अन्य प्रकरण में भी तत्कालीन डीएफओ किशनचंद के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 19 और भारतीय दंड संहिता की धारा 197 के तहत अभियोजन की स्वीकृति दी गई है। इस मामले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने भी बड़ी कार्रवाई करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग के तहत चार अधिकारियों के खिलाफ विशेष पीएमएलए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है।
चार्जशीट में पूर्व डीएफओ किशनचंद, सेवानिवृत्त रेंजर बृज बिहारी शर्मा, तत्कालीन डीएफओ अभिषेक तिवारी और रेंजर मथुरा सिंह मावदी को आरोपी बनाया गया है। ईडी ने इस मामले में पूर्व में ही लगभग 1.75 करोड़ रुपये की संपत्ति को अटैच कर लिया था, जिसमें बृज बिहारी शर्मा की पत्नी और किशनचंद के बेटों अभिषेक और युगेंद्र सिंह की संपत्तियां शामिल हैं।
बिना स्वीकृति शुरू हुआ था निर्माण
इस पूरे घोटाले की जड़ें वर्ष 2019 से जुड़ी हैं, जब कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज के 106 हेक्टेयर वन क्षेत्र में टाइगर सफारी का निर्माण बिना केंद्र सरकार की वित्तीय स्वीकृति और आवश्यक अनुमति के शुरू कर दिया गया था। इस दौरान सैकड़ों पेड़ अवैध रूप से काटे गए और भारी पैमाने पर निर्माण कार्य किया गया। इसकी जानकारी मिलने पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की टीम ने मौके पर निरीक्षण किया और अनियमितताओं की पुष्टि की।
जांच का सिलसिला और चार्जशीट
प्रारंभिक शिकायतों के आधार पर विजिलेंस विभाग ने 2022 में तत्कालीन डीएफओ किशनचंद और रेंजर बृज बिहारी शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। बाद में मामला उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने 11 अक्टूबर 2023 को मुकदमा दर्ज किया और जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। इसके आधार पर ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की और अब विशेष अदालत में अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है।
215 करोड़ रुपये की बर्बादी
मामले की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि पाखरो टाइगर सफारी परियोजना के नाम पर करीब 215 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए, लेकिन यह राशि नियमों की अनदेखी और अवैध गतिविधियों में लिप्त अधिकारियों की मिलीभगत से घोटाले की भेंट चढ़ गई।
इस घोटाले ने न केवल उत्तराखंड की छवि को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि देश भर में वन एवं वन्यजीव संरक्षण संबंधी योजनाओं की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े किए हैं। अब सबकी निगाहें सीबीआई और ईडी की आगामी कार्रवाइयों पर टिकी हैं।
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