राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को अपने जन्मदिन पर देहरादून स्थित राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान (एनआईईपीवीडी) पहुंचीं, जहां उन्होंने दृष्टिबाधित बच्चों के साथ भावनात्मक पल साझा किए। बच्चों ने “तुम जियो हजारों साल” और तारे ज़मीन पर जैसे गीतों की प्रस्तुति दी, जिसे सुनकर राष्ट्रपति मंच पर ही भावुक हो गईं और उनके आंसू छलक पड़े। उन्हें देखकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) भी भाव-विभोर हो उठे।

राष्ट्रपति ने विज्ञान प्रयोगशाला, कंप्यूटर प्रयोगशाला और एक प्रदर्शनी का भी दौरा किया। उन्होंने बच्चों को चश्मा पहनाकर सम्मानित किया और उनकी प्रतिभा की सराहना करते हुए कहा, “ये बच्चे गले से नहीं, दिल से गा रहे थे। मुझे लगा जैसे मां सरस्वती स्वयं उनके कंठ में विराजमान हैं।”
मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि किसी समाज की प्रगति का आकलन इस बात से होता है कि वह दिव्यांगजनों के साथ कैसा व्यवहार करता है। उन्होंने सुगम्य भारत अभियान और तकनीक के जरिये दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण को रेखांकित करते हुए समावेशी समाज के निर्माण पर ज़ोर दिया।
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