पाखरो टाइगर सफारी घोटाला: ईडी ने हरक सिंह रावत से चार घंटे की पूछताछ, पूर्व मंत्री बोले – “मेरे पास 50 साल का रिकॉर्ड है”

पाखरो टाइगर सफारी घोटाला: ईडी ने हरक सिंह रावत से चार घंटे की पूछताछ, पूर्व मंत्री बोले – "मेरे पास 50 साल का रिकॉर्ड है"

उत्तराखंड में करोड़ों रुपये के टाइगर सफारी निर्माण घोटाले और अवैध पेड़ कटान मामले में पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बार फिर कड़ी पूछताछ की है। गुरुवार को देहरादून स्थित ईडी कार्यालय में हुई इस पूछताछ का दौर लगभग चार घंटे तक चला। ईडी इससे पहले भी रावत से कई बार पूछताछ कर चुकी है, साथ ही इस मामले से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी के दौरान नकदी और अहम दस्तावेज बरामद किए जा चुके हैं।

यह मामला उस वक्त गरमाया था जब टाइगर सफारी निर्माण में भारी वित्तीय गड़बड़ियों और अवैध रूप से पेड़ों के कटान की शिकायतों के बाद विजिलेंस विभाग ने रावत सहित कई अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया था। विजिलेंस की जांच में कुछ अधिकारियों की गिरफ्तारी तक हो चुकी है। इतना ही नहीं, छापे के दौरान हरक सिंह रावत के पारिवारिक संस्थानों में सरकारी जेनरेटर तक पाए गए, जिससे मामला और गंभीर हो गया।

सितंबर 2023 में उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर इस केस की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। सीबीआई भी रावत से पूछताछ कर चुकी है और राज्य सरकार से पांच अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति मांग चुकी है। अब ईडी ने इस मामले में अपनी जांच को और गहराते हुए पूछताछ का नया चरण शुरू किया है।

पूछताछ के बाद मीडिया से बातचीत में हरक सिंह रावत ने सरकार पर राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा,

  • इस तरह की कार्रवाई से मेरा आत्मबल बढ़ता है।
  • राहुल गांधी ने कहा है कि ईडी और सीबीआई के बुलावे को मेडल की तरह लेना चाहिए।
  • सरकार मेरे प्रभाव को स्वीकार कर रही है, इसलिए एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है।
  • मेरे पास सभी जमीनों के 50 साल पुराने रिकॉर्ड हैं, मैं जल्द ही सबूतों के साथ मीडिया के सामने आउंगा।
  • पॉइंट वन प्रतिशत भी मैं गलत नहीं हूं। ये सब सिर्फ राजनीतिक द्वेष का नतीजा है।

अब जबकि मामले की जांच दो बड़ी केंद्रीय एजेंसियों – सीबीआई और ईडी – के हाथ में है, यह देखना अहम होगा कि आने वाले दिनों में जांच की दिशा क्या मोड़ लेती है। पाखरो रेंज घोटाला केवल वित्तीय अनियमितताओं का ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड की राजनीतिक प्रतिष्ठा और प्रशासनिक पारदर्शिता का भी बड़ा परीक्षण बनता जा रहा है।


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