उत्तराखंड में वर्षों से ठंडे बस्ते में पड़े बहुचर्चित NH-74 घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई करते हुए गुरुवार को देहरादून, बरेली, सीतापुर, मुरादाबाद, काशीपुर समेत कई शहरों में छापेमारी की। ये छापे PCS अधिकारी डीपी सिंह, हरिद्वार के एक बिल्डर, और काशीपुर के एक अधिवक्ता समेत अन्य से जुड़े स्थानों पर मारे गए।
ईडी की कार्रवाई में करीब 20 लाख रुपये की नकदी और महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए हैं। हरिद्वार और मुरादाबाद से नकदी बरामद होने की पुष्टि हुई है, जबकि देहरादून, बरेली और सीतापुर में अपेक्षित साक्ष्य नहीं मिले।
कहां-कहां हुई छापेमारी?
- PCS डीपी सिंह के निवास और उनके रिश्तेदारों के घर
- हरिद्वार के एक बिल्डर का आवास
- काशीपुर के एक वरिष्ठ अधिवक्ता का घर
सूत्रों के अनुसार, डीपी सिंह से सीधे तौर पर कोई नगदी नहीं मिली, लेकिन उनके रिश्तेदारों के घर से नकदी और दस्तावेज ज़रूर मिले हैं। वहीं हरिद्वार स्थित बिल्डर के आवास से भी महत्वपूर्ण कागजात और बड़ी रकम जब्त की गई है।
NH-74 घोटाला: क्या है मामला?
राष्ट्रीय राजमार्ग 74 (NH-74) के लिए भूमि अधिग्रहण में हुए इस घोटाले की शुरुआत 2016-17 में हुई थी, जब भूमि मुआवज़ा में भारी अनियमितताएं सामने आईं। जांच में सामने आया कि अफसरों, बिल्डरों और दलालों की मिलीभगत से सरकारी पैसे की बंदरबांट हुई थी।
ईडी पहले ही PCS अधिकारी डीपी सिंह के खिलाफ 7 अभियोजन शिकायतें कोर्ट में दर्ज कर चुका है, जिनमें उन्हें अब तक क्लीन चिट मिल चुकी थी। लेकिन इस ताजा कार्रवाई से मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है।
ED की वापसी: क्यों फिर से गरमाया मामला?
करीब आठ वर्षों बाद ईडी की इस अचानक कार्रवाई से स्पष्ट है कि एजेंसी के पास नई जानकारियां या साक्ष्य आए हैं। सूत्रों की मानें तो भविष्य में और अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस छापेमारी का उद्देश्य भूमि अधिग्रहण से जुड़े पैसों के प्रवाह और धन शोधन (money laundering) की कड़ियों को उजागर करना है।
राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल
PCS अधिकारियों के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई से राज्य के प्रशासनिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है। सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं कि वर्षों तक इस घोटाले की निष्क्रियता के बाद अब कार्रवाई क्यों हो रही है।
निष्कर्ष:
एनएच-74 घोटाले में ईडी की यह ताज़ा कार्रवाई यह संकेत देती है कि मामला अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। आने वाले दिनों में और खुलासे हो सकते हैं और कुछ बड़े नाम भी जांच के घेरे में आ सकते हैं।
चाहें आप राजनीति से जुड़े हों या सिस्टम से निराश, ये कार्रवाई बताती है कि पुराने घोटाले भी कभी-कभी ‘फिर से जिंदा’ हो सकते हैं।
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