अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर सीएम धामी की बड़ी घोषणा: टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में अग्निवीरों की होगी सीधी तैनाती

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर सीएम धामी की बड़ी घोषणा: टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में अग्निवीरों की होगी सीधी तैनाती


अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (29 जुलाई) के अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बाघ संरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाने की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में गठित की जा रही टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में अग्निवीर योजना के तहत प्रशिक्षित युवाओं की सीधी तैनाती की जाएगी। इस बल में 80 से अधिक अग्निवीरों को भर्ती किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विशेष फोर्स का प्राथमिक उद्देश्य बाघों और उनके प्राकृतिक आवास की रक्षा करना है। इससे न केवल राज्य के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को मजबूती मिलेगी, बल्कि अग्निवीरों को सैन्य प्रशिक्षण के बाद रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे। उन्होंने कहा कि यह कदम वन्यजीव सुरक्षा को नया आयाम देगा और यह देश में पहली बार होगा जब सेना से प्रशिक्षित युवाओं को सीधे वन्यजीव संरक्षण बल में शामिल किया जाएगा।

अवैध शिकार और वन अपराधों पर कसेगा शिकंजा
टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स न केवल बाघों के अवैध शिकार पर रोक लगाएगी, बल्कि यह वन और वन्यजीव से जुड़े अन्य अपराधों जैसे लकड़ी तस्करी, अवैध खनन और अतिक्रमण जैसी समस्याओं से भी सख्ती से निपटेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि यह बल मानवीय-वन्यजीव संघर्ष की स्थितियों को नियंत्रित करने के लिए भी पूरी तरह प्रशिक्षित होगा, ताकि बाघ और इंसान दोनों सुरक्षित रह सकें।

सेना के अनुशासन और जंगल की सुरक्षा का संगम
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि अग्निवीर भारतीय सेना के कड़े अनुशासन और प्रशिक्षण से गुजर चुके होते हैं। उनकी फिजिकल फिटनेस, मानसिक मजबूती और आपात स्थितियों से निपटने की क्षमता उन्हें वन सुरक्षा बल में अत्यधिक उपयुक्त बनाती है। अग्निवीरों की तैनाती से टाइगर रिजर्व को एक ऐसा समर्पित बल मिलेगा, जो वन्यजीव अपराधों पर त्वरित और प्रभावी कार्रवाई कर सकेगा।

स्थानीय सहभागिता और संरक्षण में सहयोग
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि अग्निवीरों की भर्ती से स्थानीय समुदाय भी वन संरक्षण के प्रयासों में सीधे तौर पर जुड़ पाएगा। इससे संरक्षण के प्रति समाज में जागरूकता और सहभागिता दोनों बढ़ेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस कदम से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व जैसे संरक्षित क्षेत्रों में अवैध गतिविधियों में कमी आएगी और उत्तराखंड वन्यजीव संरक्षण का उदाहरण बनकर उभरेगा।

इस घोषणा से यह स्पष्ट है कि उत्तराखंड सरकार वन्यजीव सुरक्षा को लेकर एक नया मॉडल पेश करने की तैयारी में है, जिसमें आधुनिक सोच, प्रशिक्षित युवा और तकनीकी सहायता का संतुलन होगा।


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