उत्तराखंड में नदियों किनारे अतिक्रमण पर चलेगा बुलडोजर: सीएम धामी ने दिए सख्त निर्देश, नोडल अफसर होगा नियुक्त

उत्तराखंड में नदियों किनारे अतिक्रमण पर चलेगा बुलडोजर: सीएम धामी ने दिए सख्त निर्देश, नोडल अफसर होगा नियुक्त

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की नदियों और सरकारी ज़मीनों पर हो रहे अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कदम उठाने की घोषणा की है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि गंगा और अन्य प्रमुख नदियों के किनारे अतिक्रमण हटाने के लिए व्यापक अभियान चलाया जाएगा। इस संबंध में उन्होंने उच्च स्तरीय बैठक के दौरान सभी संबंधित विभागों को प्रभावी कार्ययोजना तैयार करने और तुरंत अमल में लाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी ज़मीनों पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ एक मज़बूत तंत्र विकसित किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। बैठक में उन्होंने सिंचाई, लोक निर्माण, वन और राजस्व विभाग की संयुक्त टीमों को जिला स्तर पर गठित कर अभियान संचालित करने के निर्देश दिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सिर्फ कार्रवाई नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक नीति बननी चाहिए जो राज्य की भूमि को सुरक्षित रखे।

राज्य के मैदानी क्षेत्रों में अतिक्रमण की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव को शासन स्तर पर एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए, जो इन मामलों की निगरानी और समन्वय करेगा। उन्होंने हरिद्वार के गंगा घाट, रुद्रपुर की कल्याणी नदी और नैनीताल जिले की कोसी नदी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में अवैध अतिक्रमण के विरुद्ध तत्काल और कठोर कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया।

इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री ने बाहरी लोगों के सत्यापन की प्रक्रिया को और कड़ा करने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से ज़मीन कब्जाने की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए पुलिस और प्रशासन को सतर्क रहना होगा। एडीजीपी एपी अंशुमान ने उन्हें जानकारी दी कि बाहरी लोगों के सत्यापन के लिए 18 बिंदुओं पर जानकारी जुटाई जा रही है, जिसे राज्य स्तरीय डेटा बैंक में संकलित किया जा रहा है।

इस बैठक में प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव एस.एन. पांडेय, एडीजीपी ए.पी. अंशुमान, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते और अपर सचिव बंशीधर तिवारी भी मौजूद रहे। सभी अधिकारियों को यह निर्देश मिला कि सरकारी ज़मीन की रक्षा के लिए यह अभियान सिर्फ एक प्रशासनिक औपचारिकता न रह जाए, बल्कि इसे ज़मीन पर उतार कर जनहित में सकारात्मक परिणाम लाए जाएं।


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