हाईकोर्ट के निर्देश पर बदरी-केदार मंदिर समिति (BKTC) द्वारा चंडी देवी मंदिर की जिम्मेदारी लेने के बाद अब यह सवाल उठ रहा है कि आगे मंदिर का संचालन किस प्रकार से होगा और क्या इसमें कुछ नये बदलाव देखने को मिलेंगे। बीकेटीसी द्वारा की गई प्रारंभिक व्यवस्था में अभी चार सदस्यीय टीम कार्यरत है, लेकिन सूत्रों के अनुसार आने वाले समय में मंदिर में डिजिटल प्रबंधन प्रणाली, पारदर्शी दान प्रक्रिया, CCTV निगरानी और महिला सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति जैसे बदलाव भी हो सकते हैं।
बीकेटीसी पहले से ही केदारनाथ, बदरीनाथ, तुंगनाथ और रुद्रनाथ जैसे प्रमुख मंदिरों का संचालन करती आ रही है। उनके पास मंदिर प्रशासन, श्रद्धालुओं की सुविधा, दान की पारदर्शिता और वित्तीय प्रबंधन का लंबा अनुभव है। अब चंडी देवी मंदिर को भी उसी तरह के प्रबंधन ढांचे में लाया जाएगा।
मंदिर विवाद के पीछे की कहानी
यह सारा विवाद तब शुरू हुआ जब महंत रोहित गिरी की पत्नी ने उन पर बिना तलाक लिए दूसरी शादी करने का आरोप लगाया और बाद में महंत ने अपनी पत्नी पर ही मंदिर में चोरी करने का मुकदमा दर्ज करा दिया। मामले की गहराई तब सामने आई जब Reena Bisht नाम की महिला ने कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी गिरफ्तारी से राहत मांगी और पूरे विवाद में मंदिर की संपत्ति और दान की रकम के दुरुपयोग की बात भी सामने आई।
कोर्ट ने न सिर्फ Reena Bisht को अग्रिम जमानत दी बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर जैसी पवित्र जगह की गरिमा से खिलवाड़ करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने टिप्पणी करते हुए कहा, “ऐसे महंतों का क्या औचित्य है जो विवाहित होते हुए भी लिव-इन में रहते हैं और फिर किसी अन्य महिला के साथ अशोभनीय कृत्य में लिप्त पाए जाते हैं?”
बीकेटीसी की जिम्मेदारी और चुनौतियाँ
बीकेटीसी को अब केवल मंदिर संचालन ही नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं की आस्था को भी बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गई है। उनके सामने प्रसाद वितरण, सुरक्षा, साफ-सफाई, दान पेटियों की निगरानी जैसी कई प्रशासनिक चुनौतियाँ हैं। समिति द्वारा हाईकोर्ट को हर सप्ताह रिपोर्ट दी जाएगी जिसमें मंदिर की दैनिक गतिविधियों, सुरक्षा उपायों, और श्रद्धालुओं की संख्या का विवरण होगा।
विशेष बात यह भी है कि BKTC के पास आर्थिक संसाधनों की कोई कमी नहीं है। RTI के तहत मिली जानकारी के अनुसार, BKTC ने 2023-24 में हेली सेवा और विशेष पूजा सेवाओं से ₹10.6 करोड़ से अधिक की आय अर्जित की। अब यही व्यवस्था अगर चंडी देवी मंदिर में भी लागू होती है, तो यह स्पष्ट है कि यहां की आर्थिक पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी।
आगे की राह
कोर्ट द्वारा अगली सुनवाई की तारीख 13 अगस्त तय की गई है। तब तक BKTC मंदिर का संचालन करती रहेगी। इस बीच, बीकेटीसी की कार्यशैली और पारदर्शिता आने वाले निर्णयों को प्रभावित कर सकती है। अगर बीकेटीसी का प्रबंधन सफल रहता है, तो संभावना है कि इसे स्थायी रूप से मंदिर की देखरेख सौंपी जा सकती है।
इस पूरी प्रक्रिया ने यह संकेत दिया है कि अब धार्मिक संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना न केवल जरूरी है, बल्कि यह श्रद्धालुओं के विश्वास को भी बनाए रखने के लिए अपरिहार्य है। चंडी देवी मंदिर विवाद न केवल कानूनी लड़ाई का मामला है, बल्कि यह एक आस्था, व्यवस्था और मर्यादा की परीक्षा भी है।
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